31 दिसम्बर की सुबह थी बेहद ठंडी सुबह कोहरे ने पूरी सड़को को अपने आगोश में लिया हुआ था । सुबह के 5 बजे थे लड़का और लड़की बस स्टैंड पर एक बेंच पे बैठे हुए थे । दोनों अपने अपने घर जाने के लिए बसो का इंतज़ार कर रहे थे । उस दिन वो दोनों ही कुछ जल्दी ही अपने हॉस्टल से निकल आये थे । जबकि दोनों को ही मालूम था की 6:30 बजे से पहले वहा कोई बस नहीं आयेगी । पर वो दोनों ही अपने घर जाने से पहले एक दूसरे से कुछ बाते करना चाहते थे । जी भर कर एक दूसरे को देख लेना चाहते थे । अपनी सारी शिकायते सारी मजबूरिया कह देना चाहते थे । एक दूसरे के साथ की यादो को एक आखिरी बार जी लेना चाहते थे ।
पर पिछले पन्द्रह मिनट में उन दोनों ने एक दूसरे कुछ भी नहीं कहा था । वो दोनों होठो पर ख़ामोशी और आँखों में एक अजीब सा दर्द लिए उसी बेंच पर बैठे थे । दोनों अब भी अजीब सी ख़ामोशी से घिरे हुए थे । लड़की बीच बीच में चोर नजरो से लड़के के चहरे की तरफ देख रही थी और जब लड़का उसे ऐसे देखते हुए देखता तो वो नजरे चुरा लेती क्योकि लड़की नहीं चाहती थी की लड़का उसकी आँखों में वो दर्द देख ले । क्योकि अगर ऐसा होगा तो लड़की कमजोर पड़ जायेगी । और उसे कभी छोड़ कर जा भी नहीं पायेगी ।
और आगे के कुछ मिनट भी यू ही दोनों की ख़ामोशी में बीत गये ।
फिर उस ख़ामोशी को तोड़ते हुए लड़के ने लड़की की और देखते हुए कहा बहुत ठंड है मेरा तो चाय पीने का मन हो रहा है ।
क्या तुम एक आखिरी बार मेरे साथ चाय पीयोगी।
"एक आखिरी बार" लड़के के मुँह से ये शब्द सुनकर लडकी के दिल में एक अजीब सी चुभन हुई थी एक अजीब सा दर्द हुआ । जो पहले उसे कभी महसूस नहीं किया था ।
फिर भी लड़की ने हा में सिर हिला दिया ।
लड़का चाय लेने बस स्टैंड के पास एक दुकान की तरफ जाने लगा । लड़की उसे जाते हुए देखती रही । लड़का चाय की दुकान पर चाय लेने रुका पर लड़की अब भी अपनी निगाहे उस पर टिकाये उसे ऐसे देख रही थी जैसे इश्क के रंगों से अपने दिल के कैनवास पर हमेशा के लिए उसकी तस्वीर उतार रही हो ।
लड़का चाय लेके वापिस आया । दोनों चाय पीने लगे लड़की अब भी लड़के को देख रही थी । कि मानो उसकी निगाहे लड़के से सवाल कर रही हो कि
हमेशा के लिए जुदा होने से पहले कम से कम एक दफा तो मुझे अपने गले लगा ले ।
कम से कम एक दफा तो मुझसे इश्क है मुझे एहसास दिल दे ।
एक बार तो मुझे अपने कंधे से टिका जी भर रो लेने दे।
कम से कम अब तो अपनी खामोशियो को तोड़कर एक बार मुझ से कह दे की मुझसे इश्क है मुझसे इश्क है तुझे ।
अब लड़का भी उसकी आँखों में आँखो डालकर उसे देख रहा था । मानो उसकी आँखों केे सारे सवालो के जवाब दे रहा हो
उसे अपनी मजबूरिया गिना रहा हो । उसे समझा रहा हो कि जिंदगी में जो हम चाहते है वैसा ही हो ऐसा जरुरी नहीं होता । उसी तरह हमारे इश्क में भी न चाहते हुए भी सिर्फ खामोशिया ही लिखी है । हमारे इश्क की उम्र सिर्फ इतनी ही थी । इतना ही साथ लिखा था किस्मत में हमारी । इज़हार हे मोहब्बत कर तुम्हे और कोई नई उम्मीद नहीं देना चाहता । और न ही खुद को और कमजोर बनाना चाहता हूं । हमारी मंजिले जुदा है । और अभी कुछ ही देर में हमें भी जुदा हो जाना है कभी न मिलने के लिए ।
और अब लड़के ने नज़रे उस पर से हटा ली थी । और अगले पांच मिनट में लड़के की बस आ गई ।
लड़का बस में जाने के लिए अपना सामान उठाने लगा । लड़की उसके जाने से पहले एक बार उसे गले लगाना चाहती थी इसलिए उसके करीब आई पर लड़का अपना कोई एहसास उस पर छोड़कर नहीं जाना चाहता था वो नहीं चाहता था कि वो उसे याद करे या उसके लिए आसू बहाये । इसलिए उसे झटकता हुआ सामान लिए आगे निकल गया । वो लगा था की लड़की उसकी इस हरकत पर उससे गुस्सा होगी उसे दो चार गलिया भी दे देगी और हो सकता है उसके जाने के बाद उससे नफरत भी कर ले ।
पर उसकी इस हरकत पर लड़की ने ऐसा कुछ भी नहीं किया न गुस्सा हुई न गलिया दी । क्योकि शायद कही न कही वो खुद भी जानती थी कि लड़का ऐसा क्यों कर रहा है ।
इसलिए लड़की अब भी वही खड़ी थी और अपने खुदा से दुआ कर रही थी । हे खुदा अगर मेरे इश्क में तुझे जरा भी सच्चाई नज़र आई हो । तो एक दफा मुझे ये एहसास करा दे कि वो भी मुझे उतना ही इश्क करता है। जितना मै उससे । औरतभी लड़के को एक पल के लिए लगा जैसे की कोई उसे पीछे से आवाज दे रहा है । लड़के ने पीछे मुड़कर कर देखा लड़की वही खड़ी उसे देख कर मुस्कुरा रही थी । और अपने मन में कह रही थी हे खुदा शुक्रिया आज तूने अपने होने का मुझे एहसास करा दिया ..........
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