आज चार साल के बाद रवि अपनी पढ़ाई पूरी करके घर लौट रहा था। घर में बहुत ख़ुशी का माहौल था । रवि अपने घर में सबसे छोटा और लाडला था । इसलिए उसके आने की खबर सुनकर घरवालो की ख़ुशी का टिकाना न था । माँ तो सुबह से उसके पसंद के पकवान बनाने में लगी थी और पापा बार बार घडी की और निहारते की कब वक़्त बीतेगा और उनका लाडला आयेगा ताई जी कमरे की सफाई करने में लगी थी । की तभी दरवाजे की घन्टी बजी और सब दरवाजे की तरफ दौड़े पर सबकी की ख़ुशी दरवाजा खुलते ही उड़ गई
क्योकि दरवाजे पर उनका लाडला बेटा नहीं सुनी थी ।
सुनी ने सबको इस तरह देखते हुए सवाल किया क्या हुआ ? आप सब मुझे इस तरह सुनी अपनी बात पूरी कर पाती उससे पहले ही भाभी ने गुस्से से कहा - तू बता इतनी देर से क्यों आई । तुझे कल ही कहा था न की रवि भईया आ रहे है । जल्दी आना
एक बार में कोई बात तेरे समझ में नहीं आती क्या ? नहीं भाभी वो मेरी तबियत ठीक नही थी बस इसलिए थोड़ी देर हो गई सुनी ने जवाब दिया । अगर इतनी ही नाजुक हो तो काम छोड़ क्यों नहीं देती महारानी - भाभी ने फिर ताना कसा ।
बात ख़त्म करो बहू और सुनी तू अंदर जाकर बर्तन धो ताई जी ने रसोई में काम करते हुए बोल और फिर काम में लग गई ।
रवि आ गया माँ बड़े भईया ने रसोई में आकर माँ से कहा । माँ बाहर गई और बेटे को इतने समय के बाद देखते ही आखों में आसू भर आये । तभी रवि ने माँ को गले लगाया ।
फिर सबने चाय पी रवि के साथ बाते की ।
तभी माँ ने कहा रवि इतना सफ़र कर के आया है जा जाकर आराम कर ले । जी माँ ये कहकर रवि अपने कमरे की तरफ चला गया ।
सुनी सुनी कोई सुनी को पुकार रहा था सुनी पुकार सुनकर बाहर आई - जी भाभी कोई काम है क्या ?
काम है तभी तो तुझे बुलाया है भाभी ने बड़े रूखे अंदाज़ में कहा । ये रवि भईया का सामान उठा कर ऊपर उनके कमरे में पंहुचा दे । सुनी ने बैग उठाने की कोशिश की पर बैग भारी होने की वजह से उससे उठ नहीं रहे थे । भाभी बैग भारी है सुनी ने बड़ी मासूमियत से कहा । तुझसे कोई काम होता ही कहा है महारानी तू तो बहुत नाजुक है
चुप चाप बैग उपर पंहुचा के आ भाभी हुक्म सुनकर अपने कमरे की तरफ चली गई ।
इतने भारी बैग को घसीट घसीट कर सीढ़ियो के पास लायी और फिर एक एक सीढी पर रखकर उपर ले जाने लगी ।
सुनी ने बैग कमरे तक पहुचाया और कमरे के बाहर से झांककर देखा उसे कमरे में कोई नज़र नहीं आया । इसलिए सुनी चुपचाप अन्दर गई बैग रखा और वापस आने के लिए मुड़ी तो रवि को अचानक अपने सामने देखकर घबराकर गिरने लगी और रवि ने उसे अपनी बाहों में पकड़ लिया ।
सुनी के चहरे पर नजर पढ़ते ही रवि के मुह से एक ही शब्द निकला - सुनी
सुनी ने फ़ौरन खुद को संभाला और वहा से भाग गई ।
रात को जब सब खाना खा रहे थे तभी
माँ वो लड़की कौन थी जो मेरे कमरे में सामान रखने आई थी रवि ने पूछा - क्यों कुछ हुआ क्या रवि भईया भाभी ने पूछा नहीं भाभी बस पहले कभी घर पर देखा नहीं उसे इसलिए पूछा - अच्छा इसलिए पूछ रहे है । वो नौकरानी है अभी 6 महीने पहले ही रखा है काम पर।
रवि रात को खिड़की के पास बैठकर गहरी सोच में डूबा हुआ था । रवि सुनी के बारे में भाभी की बाते सुनकर हैरान था रवि सोच रहा था जिसे उसने आज देखा क्या ये वही सुनी जो बचपन से उसके साथ स्कूल में पढ़ा करती थी ।
जो उस वक़्त क्लास की सबसे होशियार लड़की कहलाती थी क्या ये वही थी या उसकी आँखों को धोखा हुआ है .........
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