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Thursday, August 31, 2017

एक ख़त तुम्हारे नाम


आज अचानक जाने क्यों तुम्हे एक ख़त लिखने का दिल कर रहा है तो लिख रही हू । जानती हू इतने सालो के बाद इस ख़त को लिखने का या उन यादो को याद करने का कोई मतलब नहीं है ।
पर फिर भी लिख रही हू । लिख भी शायद इसलिए रही हूँ क्योकि तुम हमेशा मुझसे कहते थे " ये लड़की कभी दिल की नहीं सुनती हमेशा दिमाग से काम लेती है "
तो देखो आज इतने समय बाद ही सही
दिल की सुनना सीख लिया है मैंने
और आज दिल के एक बार कहने पर ही तुम्हे ख़त लिखने बैठ गई ।
वैसे ख़त लिखने की एक वजह ये भी है की जिंदगी की डोर हाथ से छूटने से पहले तुमसे कुछ बाते करना चाहती है वो बाते जो तब नहीं कह पाई जब तुम पास थे वो बाते जो दिल में हमेशा दबी रह गयी कभी जवा पर आई नहीं ।
तुम्हे याद है जब हम साथ थे तो तुम अक्सर मुझसे एक सवाल किया करते थे कि तुम मेरे कौन हो ? क्या रिश्ता है हमारे बीच ?
और तुम्हारे इस सवाल पर मै हमेशा तुम से कहती कि तुम मेरे सबसे अच्छे दोस्त हो ।
मेरे ये कहते ही तुम मेरी आँखों में आंखे डाल कर यू देखते मानो कोई जवाब ढूढ़ रहे हो मेरी आँखों में और फिर उदास सी आवाज में कहते "सिर्फ दोस्त"
पता है आज भी जब ये सब सोचती हू तो तुम्हारा वो चेहरा वो शब्द (सिर्फ दोस्त) याद आते है फिर लगता है कितनी पागल थी न मै समझ ही नहीं पाई इस रिश्ते को या शायद उस वक़्त समझना चाहती भी नहीं थी। क्योकि अपने तमाम रिश्तो से इतना थक चुकी थी की किसी नए रिश्ते के बारे में सोचना भीं खुद को कही कैद करना सा लगता था ।
जानती हू ये सब पढ़ कर तुम्हारे मन में सवाल आया होगा की आज अचानक इस लड़की को क्या हो गया है । और देखो हमेशा की तरह इस बार भी तुम्हारे सवाल का कोई जवाब नहीं मेरे पास ।
पता है तो सिर्फ इतना की आज दिल की तमाम बाते तुमसे कहनी है और उन बातो के साथ एक शिकायत भी है तुमसे कि क्यों तुम इतनी आसानी से मेरी जिंदगी से चले गए । जानती हू तुम्हे मुझसे दूर होने के लिए
भी मैंने कहा था । पर फिर भी क्यों एक बार कहने पर तुम चले गए ? क्यों तुमने दूर होने की वजह नहीं पूछी ? क्यों तुमने मुझसे झगड़ा नहीं किया ? क्यों तुमने मेरी जिद मानी ? मानती हू मुझे प्यार या रिश्तो की कोई समझ नहीं थी । पर तुम्हे तो थी । कहा था जाते वक़्त तुमने मुझसे की
तुम्हे मुझसे प्यार है इश्क है तुम्हे मुझसे
और तुम्हारे इस इज्हार के बाद मैंने कोई जवाब नही दिया बस खामोश खड़ी तुम्हे देखती रही क्योकि समझ ही नहीं आया क्या कहू और फिर तुम भी चले गए बिना कोई जवाब मांगे हमेशा के लिए ।
तुम्हे पता है वो पहला पल था जिंदगी का ज़ब लगा था तुम दोस्त से कुछ और हो गए
क्या था वो कुछ और उस समय समझ नहीं पाई । और जब समझ आया तो तुम नहीं थे
कई बार लगता है लोग सही कहते की जब
तक कोई हमारे पास रहता हम उसकी कद्र नहीं करते और जब दूर चला जाता है तब उसके खास होने का एहसास होता है मेरे साथ भी यही हुआ जब तुम पास थे तो हमेशा तुम्हे दोस्त कह के बन्धनों में बांधती रही खुद से दूर करती रही । और जिस दिन तुम मुझसे दूर गए उस दिन से अब तक मै तुम्हारे करीब आने के लिए तरसती रही ।
हर पल इंतज़ार करती रही की तुम वापस आ जाओगे अपने सवालो के जवाबो के लिए वापस आओगे ।
पर तुम नहीं आये फिर लगा मै खुद तुम्हारे सवालो के जवाब और अपनी शिकायते लेकर तुम्हारे पास आ जाउ पर पता नहीं
क्यों कभी हिम्मत नहीं हुई क्यों नहीं हुई पता नहीं तुम्हे आज यू अचानक ख़त क्यों लिखा पता नहीं तुम्हे आज ये बाते क्यों कही पता नहीं पता है तो सिर्फ इतना की आज तुम्हे बताना चाहती हू की तुमसे प्यार है मुझे । प्यार है तुमसे तुम्हरी याद से हर उस पल से जब तुम पास थे और अब ये प्यार हमेशा रहेगा मेरे साथ ।

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