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Saturday, January 19, 2019

Unknown Caller ( कहानी )


सुनो सुनाओ लाइफ बनाओ 92.7 big FM और मै हू आपकी दोस्त RJ मीरा
 आज फिर हाजिर हु आपके आपके साथ आपके गमो को भुलाने और अपनी हर प्रॉब्लम का समाधान बताने
 तो बस फ़ोन उठाओ नंबर घुमाओ अपनी प्रॉब्लम मुझे बताओ मै करुँगी आपकी हर मुश्किल आसान क्योकि इस शो का नाम है Get your समाधान |

मीरा आज फिर सुबह अपनी आवाज से पूरे शहर को उठाने में  लगी थी संडे का दिन था |  सुबह के सात बजे थे सड़के कोहरे से ढकी हुई थी
शहर के आधे से ज्यादा लोग अभी भी नींद की आगोश में थे , पर मीरा अपनी दमदार आवाज में पूरे जोश के साथ अपनी कॉलर्स की प्रॉब्लम का समाधान बताने को तैयार थी
पर शायद उसकी बातो से किसी को कोई फर्क नहीं पड़ रहा था
लोग अपनी रोजाना की ज़िन्दगी जीने में मजरुफ थे  और मीरा अपने पहले कॉलर के इंतज़ार में थी
कि तभी उसके पहले कॉलर  का कॉल आया

Hello  RJ Meera

RJ Meera :- Yes

अपना नाम बताइये और अपनी प्रॉब्लम बताइये ताकि हम आपकी समस्या का समाधान कर सके

Caller :- मैं अपना नाम नहीं बताना चाहता मीरा

RJ Meera :-  ओके ( मीरा फ़ी भी अपने पूरे जोश में थी )  तो अपनी प्रॉब्लम ही बता दीजिये

Caller :- वो मीरा में

RJ  Meera :-  जी बताइये हम सुन रहे है ( मीरा ने एक्साइटेड होते हुए कहा )

Caller :-  में बस तुमसे बात करना चाहता हु मीरा

RJ  Meera :- मीरा को लगा आज फिर कोई कॉलर उसके  साथ मज़ाक कर रहा  है या उसे तंग करने की कोशिश कर रहा है
 उसके साथ अक्सर ऐसा होता था की कॉलर उससे कॉल करके इधर उधर की बाते करता फ़्लर्ट करता
( पर फिर भी मीरा ने खुद को संभाला )
और कहा
RJ Meera :- yes  बताये सुन रही हु मै , आप क्या बात करना चाहते है

Caller :- मैं बस किसी से बात करना चाहता हू , कुछ कहना चाहता हू मीरा

RJ  Meera :- जी कहिये आप जो कहना चाहते है

Caller :- मीरा मैं जीना नहीं चाहता , मुझे हर पल ऐसा लगता है जैसे जीने की कोई वजह ही नहीं रह गयी मेरे पास
"अब उसकी बाते सुन कर मीरा को लगने लगा शायद कोई आशिक़ फिर अपने ब्रेकअप का गम बांट रहा है उसके साथ"
( पर  जो भी हो उसके लिए तो अच्छा ही है शायद ऐसे आशिक़ो की वजह से ही सही लोग उसका शो सुनेंगे तो सही )
इन सब ख्यालो को झटकते हुए मीरा ने फिर कहा

RJ Meera :-  आप जीना क्यों नहीं चाहते

Caller :- मेरे पास जीने की कोई वजह ही नहीं ( इस बार उसकी बातो में और भी मायूसी थी )

RJ Meera :-  क्यों आपकी गर्लफ्रेंड से झगड़ा हुआ इसलिए , या वो छोड़कर चली गयी इसलिए
पर दोस्त किसी एक के चले जाने से ज़िंदगी ख़त्म तो नहीं हो जाती

Caller :- नहीं मीरा मेरी कोई गर्लफ्रेंड  नहीं है, और न ही ऐसी कोई बात है |
मैं बस परेशान हू , अपनी ज़िंदगी से

RJ Meera :-  पर क्यों ( इस बार मीरा ने कुछ सीरियस होकर पूछा )

Caller :- क्योकि मैं अलग हू और मेरा अलग होना या नार्मल न होना , मुझे परेशान करता है

RJ Meera :-  मैं आपकी बात समझ रही हूँ ( मीरा ने बात सम्भालने के लिए कहा,  अब वो  और उत्सुक होकर उसकी बाते सुनने लगी ) 
पर आपको क्यों लगता है ,आप अलग है और अगर है भी तो इसमें गलत क्या है , हम सब एक दूसरे से अलग है किसी न किसी वजह से और ये अलग होना ही तो हमे कुछ नया करने को प्रेरित करता है

Caller :- पर मेरा अलग होना मुझे बेचैन करता है 
मीरा एक डर सा लगा रहता है की अगर मेरा अलग होना, मेरी सच्चाई किसी को पता लगी तो वो मुझसे प्यार करना बंद कर देंगे मुझे छोड़ कर चले जायेगे
मुझसे  नफरत भी करने लगे शायद और इसलिए ही तो मेरा दोस्त अमन भी चला गया ( अब उसकी आवाज कुछ रुआँसी हो चली थी उसकी आवाज से साफ़ लग रहा था की वो अगर इससे  ज्यादा कुछ बोला तो अभी रोने लगेगा )

RJ Meera :-  अरे सुनो अब  प्लीज  रो मत और रही बात लोगो कि तो एक बात हमेशा याद रखो कि तुम्हारे अपने  तुम्हारी सच्चाई या तुम्हारी परेशानिया जानकार तुमसे कभी नफरत नहीं करते बल्कि तुम्हारी हेल्प करते है और रही बात अमन की तो शायद वो आपका सच्चा दोस्त था ही नहीं जो आपकी सच्चाई जानकार आपको परेशानी में छोड़कर चला गया


Caller :- नहीं मीरा ऐसा मत कहो
तुम नहीं जानती उसे , वो बहुत अच्छा है
वो सिर्फ दोस्त नहीं है........ प्यार है ........ 
I love him .... I love him meera
( और ये कहते ही कुछ लम्हो के लिए वो खामोश हो गया )
 उसने वो बात कह दी थी जो मीरा शायद अब तक नहीं समझ पायी थी , उसकी सच्चाई , उसके बेचैन होने की वजह , उसका अलग होने का राज

RJ Meera :-  तो क्या आप गे ( gay) है ( मीरा के मुँह से एकदम निकल गया )
उस तरफ से कोई आवाज नहीं आयी
(मीरा को शायद अपनी गलती का एहसास हो गया था की उसे एकदम से उसे गे नहीं कहना नहीं चाहिए था )
RJ Meera :-  क्या आप मुझे सुन सकते है
कॉलर ने एक ठंडी आह भरी पर उस तरफ से अब भी कोई आवाज नहीं थी
मीरा ने फिर से पूछा
RJ Meera :-  क्या आप मुझे सुन सकते है
उस तरफ से फिर कोई आवाज नहीं आयी
RJ Meera :-  आप मुझे सुन रहे है न ?
पर तब तक दूसरी तरफ से कॉल डिसकनेक्ट हो चुकी थी …………..

Wednesday, April 18, 2018

दोहरापन (कहानी )

रूचि अभी अभी कॉलेज से आयी ही थी | कि सामने मेज पर पड़ी मिठाइयाँ व शरबत के खाली गिलासो को देखकर माँ से पूछ बैठी की माँ कोई मेहमान आया था क्या ?
"हाँ आया था न तेरे ससुराल वाले आये थे "
माँ जवाब  दे पाती उससे पहले ही छोटे भाई ने कुछ चिढ़ाने के अंदाज़ में कहा |
रूचि को सुनकर विश्वास ही  नहीं हुआ उसे लगा उसके छोटे भाई ने मजाक किया है क्योकि वो तो अक्सर ऐसे मजाक कर के उसे चिढ़ाया करता था |
तो उसने भी पलटकर उसे चिढ़ाने के लिए कह दिया |
"अरे मेरे ससुराल वाले आये थे तो उन्हें रोक लेता मै भी मिल लेती उनसे "
और फिर रूचि हसँते हुए अपने कमरे की तरफ चल दी |
अभी कमरे में पहुँचकर बैड पर बैठी ही थी कि उसकी नजर कमरे में रखे शगुन के समान पर पड़ी | वो समान को देखने के लिए उठी ही थी की माँ कमरे में मिठाई का डिब्बा लेकर आ गई |
माँ - रूचि ले बेटा मुँह तो मीठा कर ले
पर रूचि तो अब भी समान की तरफ ही देख रही थी |
माँ - अरे वो तेरे शगुन का समान है वो लोग आज ही बात पक्की करने के साथ साथ शगुन का समान भी देकर गए |
बेटा बड़ा ही अच्छा रिश्ता है लड़का भी अच्छा है और पैसे वाला है अपना खुद का बड़ा घर है और इकलौता लड़का है अपने माँ बाप का | अरे वैसे भी आजकल कहा मिलता है ऐसा रिश्ता |
 माँ बोले जा रही थी | और  रूचि बस बेसुध सी बैठी अपने ही अन्तर्मन में खोई हुई अपने ही सवालो में उलझ सी गई थी |

कि वो ऐसे अचानक शादी कैसे कर सकती है ? अभी तो पढाई भी पूरी  नहीं हुई उसकी ?अभी अभी तो सपने देखना शुरू किया था | अभी अभी तो ज़िन्दगी का मतलब समझ आया था |  अभी तो बचपन से बाहर आयी है | शादी कैसे ?
और अभी कुछ समय पहले ही तो जब कॉलेज में प्रशांत ने उसे प्रपोज लिया था और उसने तुरंत घर आकर माँ को बताया था |
और फिर माँ ने  कितना समझाया था उसे की बेटा अभी तू छोटी है सिर्फ पढ़ाई पर ध्यान दे | और उसने प्रशांत को पसंद करने की बात माँ को बतानी चाही तो माँ ने फिर समझाया की तू इस काबिल नहीं है अभी की अपनी ज़िंदगी के इतने अहम फैसले ले सके |
पर आज वही माँ उसकी शादी करा रही है | तो क्या आज उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता कि  उनकी बेटी अभी छोटी है और अपनी ज़िंदगी के अहम फैसले लेने लायक नहीं है  या उसकी पढाई अभी ज्यादा जरुरी है |


या शायद हमारे समाज में लड़किया कभी इतनी बड़ी और समझदार हो ही नहीं पाती कि अपनी ज़िंदगी के अहम् फैसले ले पाए | वो या तो छोटी नासमझ नादान होती है या फिर शादी के लायक |


Thursday, August 31, 2017

खोई हुई मोहब्बत पार्ट --2



सुनी अपने घर के दरवाजे पर सिर टिकाए बैठी थी । और खुद से ही मन ही मन सवाल कर रही थी क्या रवि ने उसे पहचाना होगा क्या वो जान गया होगा कि मै वही सुनी हूं जो एक समय पर उसके साथ पढ़ा करती थी । जान गया होगा तो क्या करेगा सबकी तरह उसका मजाक उडायेगा 
कि बचपन में तो बड़ी बड़ी बाते किया करती थी । कि बड़े होकर ये बन के देखाउगी वो बन के देखाउगी और आज बनी भी तो क्या उसके घर की नौकरानी ।
और ये सब बाते सोचते सोचते सुनी की आँखों से आसू गिरने लगे । और बचपन की तमाम यादे फिर जहन में घुमने लगी कि बचपन में तो कैसे उसकी आँख में एक आंसू भी आता तो पूरा घर उसके आगे पीछे घुमने लगता । और आज देखो आंसुओ को पूरा सैलाब आखो में उमड़ आया है । तो उन्हें पोछने वाला तक कोई नहीं ।
कुछ देर ऐसे ही पुरानी यादो में खोये खोये और आसू बहाते बहाते सुनी वही दरवाजे पर सिर टिकाये ही सो गयी
अगली सुबह सुनी उठी तो उसका मन किसी काम में लग ही नहीं रहा था उसका बिल्कुल दिल नहीं कर रहा था रवि के घर काम पर जाने का क्योकि उसे डर था की रवि ने उससे सवाल किये तो उसका मजाक उडाया तो क्या करेगी वो कैसे सामना करेगी इस सब का और बस यही सब सोच सोच कर उसका दिल बैठा जा रहा था 
और आखिर कुछ देर बाद उसने तय कर ही लिया कि वो आज काम पर नहीं जायगी 
पर उसे ये भी डर सताने लगा की काम पर नहीं जायगी तो हो सकता है की भाभी उसे काम से ही निकाल दे 
तभी उसे याद आया की उसकी सहेली रमा उसकी मदद कर सकती है क्योकि रमा जिस घर में काम करती है वो लोग कुछ दिन के लिए बाहर गए है तो वो आजकल घर पर ही है तो वो उसकी जगह काम पर चली जाएगी ।
सुबह 10 बजे रवि अपने कमरे से निकलकर आया तो माँ ने पूछा नाश्ता लगवा दू रवि हा लगवा दो माँ रवि 
ने धीमी आवाज में कहा और सोफे पर बैठ गया भाभी सफाई कर रही थी रवि ने उन्हें सफाई करते देखा तो पूछ बैठा -अरे भाभी आज आप सफाई कर रही है अब हम सफाई नहीं करेगे तो कौन करेगा भईया भाभी ने अपने ही अंदाज़ में कहा ।
क्यों आपकी वो नौकरानी कहा गई क्या नाम था उसका रवि ने सवाल किया कौन वो सुनी भाभी ने कहा हा हा वही रवि ने सर हिलाकर जवाब दिया अरे वो महारानी अभी तक आई कहा है वो तो ...... भाभी अपनी बात पूरी करती उससे पहले ही बाहर से आवाज आई भाभी जी भाभी जी कोई भाभी को पुकार रहा था भाभी ने वाही खड़े खड़े ही पूछा कौन हम है रमा उसने जवाब दिया वो आज सुनी नहीं आएगी हम उसकी जगह काम करेगे ठीक है कहकर भाभी उसे काम समझाने लगी और काम समझा कर अपने कमरे में चली गई और रमा भी अपने कामो में मगन हो गई ।
और रवि वहा सोफे पर बैठकर अब भी यही सोच रहा था की सुनी क्यों नहीं आई क्या वो उसके वजह से नहीं आई या कोई और बात है ।
अगले दिन भी सुनी उसी कश्मकश के साथ उठी । की वहा काम करने जाए या नहीं और रोज रोज रमा को भी नहीं भेज सकती कि वो उसके बदले काम करने चली जाये । इसलिए सुनी बेमन से ही सही वहा जाने के लिए तैयार हो गयी |
अरे सुनी तू आ गयी सुनी ने हा में सर हिला दिया । अब तेरी तबीयत कैसी है माँ ने बहुत प्यार से पूछा जी अब ठीक है सुनी ने धीमी आवाज में जवाब दे दिया । 
सुनी अब तू आ ही गई हा तो पहले मेरे लिए चाय बना दे बाद में बाकि का करना भाभी ने रसोई में आते ही सुनी को आर्डर दे दिया और फिर अपने कमरे में चली गई ।
सुनी ने जैसे ही चाय बनाके कप में डाली तभी पीछे से भाभी आ गई । और सुनी से कहने लगी। सुनी एक कप चाय रवि भईया के कमरे में भी दे आ । वो बहुत देर से चाय मांग रहे है । जी मै सुनी ने हलके से कहा ।
नहीं तो क्या मै भाभी फिर गुस्से से बोली ।

और सुनी चुप चाप चाय का कप लेकर रवि के कमरे की तरफ चल दी । सुनी एक एक सीढी ऐसे चढ़ रही थी । कि मानो आज जाने क्या हो जायेगा । जितना सुनी कोशिश कर रही थी रवि की नजरो से बचने की उतना ही उसके पास जाना पड रहा था ।
सुनी ने कमरे के पास पहुच कर दरवाजा खटखटाया तभी रवि ने पूछा कौन है 
मै हू सुनी चाय लायी हू आपकी । हा अंदर आ जाओ । सुनी दरवाजा खोलकर अंदर गयी । चाय का प्याला मेज पर रखा । और फटाफट जाने के लिए कदम बढाये । तभी रवि ने आवाज दी । सुनी रुको मुझे तुमसे बात करनी है। पर सुनी रवि के बात को अनसुना करके कमरे से निकल गई ।
रात को सुनी अपने बिस्तर पर लेटी हुई थी पर आज जाने क्यों उसे नींद नहीं आ रही थी । वैसे तो हमेशा थकावट के कारण उसे बिस्तर पर लेटते ही नींद आ जाती थी पर आज जाने क्यों नींद आ रही थी । सिर्फ और सिर्फ रवि के ख्याल दिमाग में घूम रहे थे । सुनी आज सोच में पड़ी थी कि रवि क्या बात करना चाहता था। क्या पूछना चाहता था वो और इन्ही खयालो के साथ वो करवटे बदलती रही ।

एक ख़त तुम्हारे नाम


आज अचानक जाने क्यों तुम्हे एक ख़त लिखने का दिल कर रहा है तो लिख रही हू । जानती हू इतने सालो के बाद इस ख़त को लिखने का या उन यादो को याद करने का कोई मतलब नहीं है ।
पर फिर भी लिख रही हू । लिख भी शायद इसलिए रही हूँ क्योकि तुम हमेशा मुझसे कहते थे " ये लड़की कभी दिल की नहीं सुनती हमेशा दिमाग से काम लेती है "
तो देखो आज इतने समय बाद ही सही
दिल की सुनना सीख लिया है मैंने
और आज दिल के एक बार कहने पर ही तुम्हे ख़त लिखने बैठ गई ।
वैसे ख़त लिखने की एक वजह ये भी है की जिंदगी की डोर हाथ से छूटने से पहले तुमसे कुछ बाते करना चाहती है वो बाते जो तब नहीं कह पाई जब तुम पास थे वो बाते जो दिल में हमेशा दबी रह गयी कभी जवा पर आई नहीं ।
तुम्हे याद है जब हम साथ थे तो तुम अक्सर मुझसे एक सवाल किया करते थे कि तुम मेरे कौन हो ? क्या रिश्ता है हमारे बीच ?
और तुम्हारे इस सवाल पर मै हमेशा तुम से कहती कि तुम मेरे सबसे अच्छे दोस्त हो ।
मेरे ये कहते ही तुम मेरी आँखों में आंखे डाल कर यू देखते मानो कोई जवाब ढूढ़ रहे हो मेरी आँखों में और फिर उदास सी आवाज में कहते "सिर्फ दोस्त"
पता है आज भी जब ये सब सोचती हू तो तुम्हारा वो चेहरा वो शब्द (सिर्फ दोस्त) याद आते है फिर लगता है कितनी पागल थी न मै समझ ही नहीं पाई इस रिश्ते को या शायद उस वक़्त समझना चाहती भी नहीं थी। क्योकि अपने तमाम रिश्तो से इतना थक चुकी थी की किसी नए रिश्ते के बारे में सोचना भीं खुद को कही कैद करना सा लगता था ।
जानती हू ये सब पढ़ कर तुम्हारे मन में सवाल आया होगा की आज अचानक इस लड़की को क्या हो गया है । और देखो हमेशा की तरह इस बार भी तुम्हारे सवाल का कोई जवाब नहीं मेरे पास ।
पता है तो सिर्फ इतना की आज दिल की तमाम बाते तुमसे कहनी है और उन बातो के साथ एक शिकायत भी है तुमसे कि क्यों तुम इतनी आसानी से मेरी जिंदगी से चले गए । जानती हू तुम्हे मुझसे दूर होने के लिए
भी मैंने कहा था । पर फिर भी क्यों एक बार कहने पर तुम चले गए ? क्यों तुमने दूर होने की वजह नहीं पूछी ? क्यों तुमने मुझसे झगड़ा नहीं किया ? क्यों तुमने मेरी जिद मानी ? मानती हू मुझे प्यार या रिश्तो की कोई समझ नहीं थी । पर तुम्हे तो थी । कहा था जाते वक़्त तुमने मुझसे की
तुम्हे मुझसे प्यार है इश्क है तुम्हे मुझसे
और तुम्हारे इस इज्हार के बाद मैंने कोई जवाब नही दिया बस खामोश खड़ी तुम्हे देखती रही क्योकि समझ ही नहीं आया क्या कहू और फिर तुम भी चले गए बिना कोई जवाब मांगे हमेशा के लिए ।
तुम्हे पता है वो पहला पल था जिंदगी का ज़ब लगा था तुम दोस्त से कुछ और हो गए
क्या था वो कुछ और उस समय समझ नहीं पाई । और जब समझ आया तो तुम नहीं थे
कई बार लगता है लोग सही कहते की जब
तक कोई हमारे पास रहता हम उसकी कद्र नहीं करते और जब दूर चला जाता है तब उसके खास होने का एहसास होता है मेरे साथ भी यही हुआ जब तुम पास थे तो हमेशा तुम्हे दोस्त कह के बन्धनों में बांधती रही खुद से दूर करती रही । और जिस दिन तुम मुझसे दूर गए उस दिन से अब तक मै तुम्हारे करीब आने के लिए तरसती रही ।
हर पल इंतज़ार करती रही की तुम वापस आ जाओगे अपने सवालो के जवाबो के लिए वापस आओगे ।
पर तुम नहीं आये फिर लगा मै खुद तुम्हारे सवालो के जवाब और अपनी शिकायते लेकर तुम्हारे पास आ जाउ पर पता नहीं
क्यों कभी हिम्मत नहीं हुई क्यों नहीं हुई पता नहीं तुम्हे आज यू अचानक ख़त क्यों लिखा पता नहीं तुम्हे आज ये बाते क्यों कही पता नहीं पता है तो सिर्फ इतना की आज तुम्हे बताना चाहती हू की तुमसे प्यार है मुझे । प्यार है तुमसे तुम्हरी याद से हर उस पल से जब तुम पास थे और अब ये प्यार हमेशा रहेगा मेरे साथ ।

खमोशिया -The silent love story



31 दिसम्बर की सुबह थी बेहद ठंडी सुबह कोहरे ने पूरी सड़को को अपने आगोश में लिया हुआ था । सुबह के 5 बजे थे लड़का और लड़की बस स्टैंड पर एक बेंच पे बैठे हुए थे । दोनों अपने अपने घर जाने के लिए बसो का इंतज़ार कर रहे थे । उस दिन वो दोनों ही कुछ जल्दी ही अपने हॉस्टल से निकल आये थे । जबकि दोनों को ही मालूम था की 6:30 बजे से पहले वहा कोई बस नहीं आयेगी । पर वो दोनों ही अपने घर जाने से पहले एक दूसरे से कुछ बाते करना चाहते थे । जी भर कर एक दूसरे को देख लेना चाहते थे । अपनी सारी शिकायते सारी मजबूरिया कह देना चाहते थे । एक दूसरे के साथ की यादो को एक आखिरी बार जी लेना चाहते थे ।
पर पिछले पन्द्रह मिनट में उन दोनों ने एक दूसरे कुछ भी नहीं कहा था । वो दोनों होठो पर ख़ामोशी और आँखों में एक अजीब सा दर्द लिए उसी बेंच पर बैठे थे । दोनों अब भी अजीब सी ख़ामोशी से घिरे हुए थे । लड़की बीच बीच में चोर नजरो से लड़के के चहरे की तरफ देख रही थी और जब लड़का उसे ऐसे देखते हुए देखता तो वो नजरे चुरा लेती क्योकि लड़की नहीं चाहती थी की लड़का उसकी आँखों में वो दर्द देख ले । क्योकि अगर ऐसा होगा तो लड़की कमजोर पड़ जायेगी । और उसे कभी छोड़ कर जा भी नहीं पायेगी ।
और आगे के कुछ मिनट भी यू ही दोनों की ख़ामोशी में बीत गये ।
फिर उस ख़ामोशी को तोड़ते हुए लड़के ने लड़की की और देखते हुए कहा बहुत ठंड है मेरा तो चाय पीने का मन हो रहा है । 
क्या तुम एक आखिरी बार मेरे साथ चाय पीयोगी। 
"एक आखिरी बार" लड़के के मुँह से ये शब्द सुनकर लडकी के दिल में एक अजीब सी चुभन हुई थी एक अजीब सा दर्द हुआ । जो पहले उसे कभी महसूस नहीं किया था ।
फिर भी लड़की ने हा में सिर हिला दिया ।
लड़का चाय लेने बस स्टैंड के पास एक दुकान की तरफ जाने लगा । लड़की उसे जाते हुए देखती रही । लड़का चाय की दुकान पर चाय लेने रुका पर लड़की अब भी अपनी निगाहे उस पर टिकाये उसे ऐसे देख रही थी जैसे इश्क के रंगों से अपने दिल के कैनवास पर हमेशा के लिए उसकी तस्वीर उतार रही हो ।
लड़का चाय लेके वापिस आया । दोनों चाय पीने लगे लड़की अब भी लड़के को देख रही थी । कि मानो उसकी निगाहे लड़के से सवाल कर रही हो कि 
हमेशा के लिए जुदा होने से पहले कम से कम एक दफा तो मुझे अपने गले लगा ले ।
कम से कम एक दफा तो मुझसे इश्क है मुझे एहसास दिल दे ।
एक बार तो मुझे अपने कंधे से टिका जी भर रो लेने दे।
कम से कम अब तो अपनी खामोशियो को तोड़कर एक बार मुझ से कह दे की मुझसे इश्क है मुझसे इश्क है तुझे ।
अब लड़का भी उसकी आँखों में आँखो डालकर उसे देख रहा था । मानो उसकी आँखों केे सारे सवालो के जवाब दे रहा हो 
उसे अपनी मजबूरिया गिना रहा हो । उसे समझा रहा हो कि जिंदगी में जो हम चाहते है वैसा ही हो ऐसा जरुरी नहीं होता । उसी तरह हमारे इश्क में भी न चाहते हुए भी सिर्फ खामोशिया ही लिखी है । हमारे इश्क की उम्र सिर्फ इतनी ही थी । इतना ही साथ लिखा था किस्मत में हमारी । इज़हार हे मोहब्बत कर तुम्हे और कोई नई उम्मीद नहीं देना चाहता । और न ही खुद को और कमजोर बनाना चाहता हूं । हमारी मंजिले जुदा है । और अभी कुछ ही देर में हमें भी जुदा हो जाना है कभी न मिलने के लिए ।
और अब लड़के ने नज़रे उस पर से हटा ली थी । और अगले पांच मिनट में लड़के की बस आ गई ।
लड़का बस में जाने के लिए अपना सामान उठाने लगा । लड़की उसके जाने से पहले एक बार उसे गले लगाना चाहती थी इसलिए उसके करीब आई पर लड़का अपना कोई एहसास उस पर छोड़कर नहीं जाना चाहता था वो नहीं चाहता था कि वो उसे याद करे या उसके लिए आसू बहाये । इसलिए उसे झटकता हुआ सामान लिए आगे निकल गया । वो लगा था की लड़की उसकी इस हरकत पर उससे गुस्सा होगी उसे दो चार गलिया भी दे देगी और हो सकता है उसके जाने के बाद उससे नफरत भी कर ले ।
पर उसकी इस हरकत पर लड़की ने ऐसा कुछ भी नहीं किया न गुस्सा हुई न गलिया दी । क्योकि शायद कही न कही वो खुद भी जानती थी कि लड़का ऐसा क्यों कर रहा है ।
इसलिए लड़की अब भी वही खड़ी थी और अपने खुदा से दुआ कर रही थी । हे खुदा अगर मेरे इश्क में तुझे जरा भी सच्चाई नज़र आई हो । तो एक दफा मुझे ये एहसास करा दे कि वो भी मुझे उतना ही इश्क करता है। जितना मै उससे । औरतभी लड़के को एक पल के लिए लगा जैसे की कोई उसे पीछे से आवाज दे रहा है । लड़के ने पीछे मुड़कर कर देखा लड़की वही खड़ी उसे देख कर मुस्कुरा रही थी । और अपने मन में कह रही थी हे खुदा शुक्रिया आज तूने अपने होने का मुझे एहसास करा दिया ..........