आज सुबह morning walk से लौटते समय यू ही चाय पीने का मन हुआ ।तो पार्क के सामने
बने टी स्टोल पर रुक गईअभी वहा जाकर खड़ी ही हुई थी की वही साइड में रखी बेंच पर एक लड़का और लड़की को बैठे देखा। उम्र कोई जादा नहीं 14-15 साल होगी दोनों की ।दोनों के पास स्कूल बैग भी था।
दोनो चाय पी रहे थे। चाय पीते पीते लड़की बार बार लड़के से कह रही थी।कि जल्दी चाय पीयो कोचिंग को देर हो जायगी जल्दी चलो न प्लीज़ । हा हा चाय पीकर चलते है लड़के ने बस इतना ही कहा और चाय पीने लगा । लड़की ने अब एक नजर अपनी कलाई पर बंधी घड़ी पर डाली और इस बार चिल्ला कर बोली जल्दी चलो देर हो रही है । पर इस बार लड़के ने कोई जवाब नहीं दिया मानो लड़के को उसकी बातो से शायद कोई फर्क ही नहीं पड़ रहा था वो अब भी खुद में मगन होकर मजे से अपनी चाय पी रहा । लड़के को इस तरह खुद में मगन हुए देख कर लड़की गुस्सा होकर जाने लगी ।लड़के ने उसे रुकने के लिए कहा पर वो नहीं रुकी और उसे जाता देख कर लडका भी उसके पीछे पीछे चला गया।
कुछ देर बाद मै भी घर आ गई ।घर आने के बाद भी मै उन दोनों के बारे में ही सोच रही थी जाने क्यों पर उनका ख्याल दिल से जा ही नहीं रहा था।शायद इसलिये नहीं भुला पा रही थी क्योकि आज बरसो बाद उन्होंने मुझे तुम्हारी याद दिलायी थी । तुम्हारे साथ बिताये कुछ लम्हों की याद दिलाई थी । वो लम्हे शायद जो मै कभी नही भूल सकती वो लम्हे जो हमेशा मेरे लिये खास है ।
तुम्हे तो शायद याद भी न होगे वो लम्हे वो बाते जो हम कोचिंग से लौटते वक़्त किया करते थे । तुम्हे तो शायद मै भी याद न हू।पर पता नहीं क्यों मै कभी नहीं भुला पाई तुम्हे । आज भी कुछ चीजे मुझे तुम्हारी याद दिलाती है जैसे - सुबह सुबह सुनसान सड़को पर तुम्हारा हाथ थामे कोचिंग जाना । हा मुझे आजभी याद है । तुम्हे जरा भी पसंद नहीं था । सुबह सुबह ठण्ड में जल्दी उठना कोचिंग जाना तुम तो हमेशा मुझ से कहते थे की कोचिंग का टाइम शाम का रखते है । पर मै थी की मानती ही नहीं थी ।क्योकि सर्दियों का मौसम मुझे हमेशा से बेहद पसंद था। और इस ठंड में सुनसान सड़को पर तुम्हारा हाथ थामे कोचिंग जानामुझे सबसे अच्छा लगता था ।और फिर रोज कोचिंगसे लौटते समय तुम से जिद करना की मुझे रहीम चाचा के टी स्टोल पर जाकर चाय पीनी है । और तुम रोज मुझे मना करते की मै किसी और टी स्टोल से चाय पी लू क्योकि रहीम चाचा का टी स्टोल हमारी कोचिंग से थोडा दूर था। पर मै जिद पर अड़ जाती की मुझे वाही से चाय पीनी है और कई बार तो मै तुम से कह भी देती मेरे साथ चलना है तो चलो वर्ना मै अकेली चली जाउगी । मै तुम्हे कह तो देती की अकेले चली जाऊगी पर जानती थी शायद की कुछ भी हो जाये तुम मुझे कभी अकेले छोड़कर नहीं जाउगे । तुम मुझे कितना ही मना कर लो मुझसे कितनी जिद कर लो परआखिर में मेरी बात मानकर तुम्हे मेरे साथ आना ही पड़ता था ।
आज सोचती हू की काश तब की तरह आज भी तुम मेरे साथ होते । पर शायद जिंदगी हमेशा एक सी नहीं रहती वक़्त एक सा नहीं रहता वो कच्ची उम्र का रिश्ता उस उम्र के साथ ही कही पीछे छुट गया ।और आज कुछ बचा है तो वो है यादे उस प्यार भरे लम्हे की यादे जो हमेशा साथ रहेगी मेरे । और जो हमेशा तुम्हारे होने का एहसास दिलायगी ।
बने टी स्टोल पर रुक गईअभी वहा जाकर खड़ी ही हुई थी की वही साइड में रखी बेंच पर एक लड़का और लड़की को बैठे देखा। उम्र कोई जादा नहीं 14-15 साल होगी दोनों की ।दोनों के पास स्कूल बैग भी था।
दोनो चाय पी रहे थे। चाय पीते पीते लड़की बार बार लड़के से कह रही थी।कि जल्दी चाय पीयो कोचिंग को देर हो जायगी जल्दी चलो न प्लीज़ । हा हा चाय पीकर चलते है लड़के ने बस इतना ही कहा और चाय पीने लगा । लड़की ने अब एक नजर अपनी कलाई पर बंधी घड़ी पर डाली और इस बार चिल्ला कर बोली जल्दी चलो देर हो रही है । पर इस बार लड़के ने कोई जवाब नहीं दिया मानो लड़के को उसकी बातो से शायद कोई फर्क ही नहीं पड़ रहा था वो अब भी खुद में मगन होकर मजे से अपनी चाय पी रहा । लड़के को इस तरह खुद में मगन हुए देख कर लड़की गुस्सा होकर जाने लगी ।लड़के ने उसे रुकने के लिए कहा पर वो नहीं रुकी और उसे जाता देख कर लडका भी उसके पीछे पीछे चला गया।
कुछ देर बाद मै भी घर आ गई ।घर आने के बाद भी मै उन दोनों के बारे में ही सोच रही थी जाने क्यों पर उनका ख्याल दिल से जा ही नहीं रहा था।शायद इसलिये नहीं भुला पा रही थी क्योकि आज बरसो बाद उन्होंने मुझे तुम्हारी याद दिलायी थी । तुम्हारे साथ बिताये कुछ लम्हों की याद दिलाई थी । वो लम्हे शायद जो मै कभी नही भूल सकती वो लम्हे जो हमेशा मेरे लिये खास है ।
तुम्हे तो शायद याद भी न होगे वो लम्हे वो बाते जो हम कोचिंग से लौटते वक़्त किया करते थे । तुम्हे तो शायद मै भी याद न हू।पर पता नहीं क्यों मै कभी नहीं भुला पाई तुम्हे । आज भी कुछ चीजे मुझे तुम्हारी याद दिलाती है जैसे - सुबह सुबह सुनसान सड़को पर तुम्हारा हाथ थामे कोचिंग जाना । हा मुझे आजभी याद है । तुम्हे जरा भी पसंद नहीं था । सुबह सुबह ठण्ड में जल्दी उठना कोचिंग जाना तुम तो हमेशा मुझ से कहते थे की कोचिंग का टाइम शाम का रखते है । पर मै थी की मानती ही नहीं थी ।क्योकि सर्दियों का मौसम मुझे हमेशा से बेहद पसंद था। और इस ठंड में सुनसान सड़को पर तुम्हारा हाथ थामे कोचिंग जानामुझे सबसे अच्छा लगता था ।और फिर रोज कोचिंगसे लौटते समय तुम से जिद करना की मुझे रहीम चाचा के टी स्टोल पर जाकर चाय पीनी है । और तुम रोज मुझे मना करते की मै किसी और टी स्टोल से चाय पी लू क्योकि रहीम चाचा का टी स्टोल हमारी कोचिंग से थोडा दूर था। पर मै जिद पर अड़ जाती की मुझे वाही से चाय पीनी है और कई बार तो मै तुम से कह भी देती मेरे साथ चलना है तो चलो वर्ना मै अकेली चली जाउगी । मै तुम्हे कह तो देती की अकेले चली जाऊगी पर जानती थी शायद की कुछ भी हो जाये तुम मुझे कभी अकेले छोड़कर नहीं जाउगे । तुम मुझे कितना ही मना कर लो मुझसे कितनी जिद कर लो परआखिर में मेरी बात मानकर तुम्हे मेरे साथ आना ही पड़ता था ।
आज सोचती हू की काश तब की तरह आज भी तुम मेरे साथ होते । पर शायद जिंदगी हमेशा एक सी नहीं रहती वक़्त एक सा नहीं रहता वो कच्ची उम्र का रिश्ता उस उम्र के साथ ही कही पीछे छुट गया ।और आज कुछ बचा है तो वो है यादे उस प्यार भरे लम्हे की यादे जो हमेशा साथ रहेगी मेरे । और जो हमेशा तुम्हारे होने का एहसास दिलायगी ।
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