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Thursday, August 31, 2017

खोई हुई मोहब्बत पार्ट --2



सुनी अपने घर के दरवाजे पर सिर टिकाए बैठी थी । और खुद से ही मन ही मन सवाल कर रही थी क्या रवि ने उसे पहचाना होगा क्या वो जान गया होगा कि मै वही सुनी हूं जो एक समय पर उसके साथ पढ़ा करती थी । जान गया होगा तो क्या करेगा सबकी तरह उसका मजाक उडायेगा 
कि बचपन में तो बड़ी बड़ी बाते किया करती थी । कि बड़े होकर ये बन के देखाउगी वो बन के देखाउगी और आज बनी भी तो क्या उसके घर की नौकरानी ।
और ये सब बाते सोचते सोचते सुनी की आँखों से आसू गिरने लगे । और बचपन की तमाम यादे फिर जहन में घुमने लगी कि बचपन में तो कैसे उसकी आँख में एक आंसू भी आता तो पूरा घर उसके आगे पीछे घुमने लगता । और आज देखो आंसुओ को पूरा सैलाब आखो में उमड़ आया है । तो उन्हें पोछने वाला तक कोई नहीं ।
कुछ देर ऐसे ही पुरानी यादो में खोये खोये और आसू बहाते बहाते सुनी वही दरवाजे पर सिर टिकाये ही सो गयी
अगली सुबह सुनी उठी तो उसका मन किसी काम में लग ही नहीं रहा था उसका बिल्कुल दिल नहीं कर रहा था रवि के घर काम पर जाने का क्योकि उसे डर था की रवि ने उससे सवाल किये तो उसका मजाक उडाया तो क्या करेगी वो कैसे सामना करेगी इस सब का और बस यही सब सोच सोच कर उसका दिल बैठा जा रहा था 
और आखिर कुछ देर बाद उसने तय कर ही लिया कि वो आज काम पर नहीं जायगी 
पर उसे ये भी डर सताने लगा की काम पर नहीं जायगी तो हो सकता है की भाभी उसे काम से ही निकाल दे 
तभी उसे याद आया की उसकी सहेली रमा उसकी मदद कर सकती है क्योकि रमा जिस घर में काम करती है वो लोग कुछ दिन के लिए बाहर गए है तो वो आजकल घर पर ही है तो वो उसकी जगह काम पर चली जाएगी ।
सुबह 10 बजे रवि अपने कमरे से निकलकर आया तो माँ ने पूछा नाश्ता लगवा दू रवि हा लगवा दो माँ रवि 
ने धीमी आवाज में कहा और सोफे पर बैठ गया भाभी सफाई कर रही थी रवि ने उन्हें सफाई करते देखा तो पूछ बैठा -अरे भाभी आज आप सफाई कर रही है अब हम सफाई नहीं करेगे तो कौन करेगा भईया भाभी ने अपने ही अंदाज़ में कहा ।
क्यों आपकी वो नौकरानी कहा गई क्या नाम था उसका रवि ने सवाल किया कौन वो सुनी भाभी ने कहा हा हा वही रवि ने सर हिलाकर जवाब दिया अरे वो महारानी अभी तक आई कहा है वो तो ...... भाभी अपनी बात पूरी करती उससे पहले ही बाहर से आवाज आई भाभी जी भाभी जी कोई भाभी को पुकार रहा था भाभी ने वाही खड़े खड़े ही पूछा कौन हम है रमा उसने जवाब दिया वो आज सुनी नहीं आएगी हम उसकी जगह काम करेगे ठीक है कहकर भाभी उसे काम समझाने लगी और काम समझा कर अपने कमरे में चली गई और रमा भी अपने कामो में मगन हो गई ।
और रवि वहा सोफे पर बैठकर अब भी यही सोच रहा था की सुनी क्यों नहीं आई क्या वो उसके वजह से नहीं आई या कोई और बात है ।
अगले दिन भी सुनी उसी कश्मकश के साथ उठी । की वहा काम करने जाए या नहीं और रोज रोज रमा को भी नहीं भेज सकती कि वो उसके बदले काम करने चली जाये । इसलिए सुनी बेमन से ही सही वहा जाने के लिए तैयार हो गयी |
अरे सुनी तू आ गयी सुनी ने हा में सर हिला दिया । अब तेरी तबीयत कैसी है माँ ने बहुत प्यार से पूछा जी अब ठीक है सुनी ने धीमी आवाज में जवाब दे दिया । 
सुनी अब तू आ ही गई हा तो पहले मेरे लिए चाय बना दे बाद में बाकि का करना भाभी ने रसोई में आते ही सुनी को आर्डर दे दिया और फिर अपने कमरे में चली गई ।
सुनी ने जैसे ही चाय बनाके कप में डाली तभी पीछे से भाभी आ गई । और सुनी से कहने लगी। सुनी एक कप चाय रवि भईया के कमरे में भी दे आ । वो बहुत देर से चाय मांग रहे है । जी मै सुनी ने हलके से कहा ।
नहीं तो क्या मै भाभी फिर गुस्से से बोली ।

और सुनी चुप चाप चाय का कप लेकर रवि के कमरे की तरफ चल दी । सुनी एक एक सीढी ऐसे चढ़ रही थी । कि मानो आज जाने क्या हो जायेगा । जितना सुनी कोशिश कर रही थी रवि की नजरो से बचने की उतना ही उसके पास जाना पड रहा था ।
सुनी ने कमरे के पास पहुच कर दरवाजा खटखटाया तभी रवि ने पूछा कौन है 
मै हू सुनी चाय लायी हू आपकी । हा अंदर आ जाओ । सुनी दरवाजा खोलकर अंदर गयी । चाय का प्याला मेज पर रखा । और फटाफट जाने के लिए कदम बढाये । तभी रवि ने आवाज दी । सुनी रुको मुझे तुमसे बात करनी है। पर सुनी रवि के बात को अनसुना करके कमरे से निकल गई ।
रात को सुनी अपने बिस्तर पर लेटी हुई थी पर आज जाने क्यों उसे नींद नहीं आ रही थी । वैसे तो हमेशा थकावट के कारण उसे बिस्तर पर लेटते ही नींद आ जाती थी पर आज जाने क्यों नींद आ रही थी । सिर्फ और सिर्फ रवि के ख्याल दिमाग में घूम रहे थे । सुनी आज सोच में पड़ी थी कि रवि क्या बात करना चाहता था। क्या पूछना चाहता था वो और इन्ही खयालो के साथ वो करवटे बदलती रही ।

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